क्रिकेट / सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक टेस्ट से जुड़ा किस्सा शेयर किया, हरभजन से हुई मुलाकात के बारे में भी बताया

खेल डेस्क. भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता में खेले जा रहे डे-नाइट टेस्ट के दौरान पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर ने एक खास किस्सा शेयर किया। जो कि साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इसी मैदान पर खेले गए ऐतिहासिक टेस्ट मैच से जुड़ा है। जिसमें भारतीय टीम ने फॉलोऑन खेलने के बावजूद स्टीव वॉ की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम पर जीत दर्ज की थी। सचिन के मुताबिक उस मैच में तत्कालीन भारतीय कोच जॉन राइट और कप्तान सौरव गांगुली ने सिर्फ 10 मिनट के अंदर ये फैसला लिया था कि वीवीएस लक्ष्मण नंबर तीन पर और राहुल द्रविड़ नंबर छह पर बल्लेबाजी करने उतरेंगे। बाद में इन्हीं दो बल्लेबाजों के बीच हुई 376 रन की साझेदारी की बदौलत भारत को जीत मिली थी।


उस मैच से जुड़ी याद शेयर करते हुए सचिन ने कहा, 'वे दोनों (लक्ष्मण और द्रविड़) बेहद अच्छी लय में थे। जब वे बल्लेबाजी कर रहे थे, तो ड्रेसिंग रूम में से कोई नहीं गया। ड्रिंक्स, आइस पैक्स उनके लिए सब तैयार किए जा रहे थे। वो एक जादुई साझेदारी थी और अचानक उम्मीद जाग गई थी कि अगर भज्जी और जैक (जहीर खान) अच्छी गेंदबाजी करें तो हम जीत भी सकते हैं।' ये बातें उन्होंने भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता में खेले जा रहे पहले डे-नाइट टेस्ट के पहले दिन लंच ब्रेक के दौरान कहीं।


भारत ने 171 रन से जीता था मैच


मार्च 2001 में खेले गए उस मैच में मेहमान टीम ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 445 रन बनाए थे, जवाब में भारतीय टीम 171 रन पर सिमट गई थी। इसके बाद फॉलोऑन खेलते वक्त भी भारत के 4 विकेट 232 रन पर गिर गए थे और वो मुश्किल में थी। लेकिन फिर वीवीएस लक्ष्मण (281) और राहुल द्रविड़ (180) ने पांचवें विकेट के लिए 376 रन की साझेदारी कर भारत को दोबारा मैच में ला खड़ा किया था। लक्ष्मण और द्रविड़ की पारी की मदद से भारत ने अपनी दूसरी पारी 657/7 रन पर घोषित की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरी पारी में 212 रन पर ऑल आउट हो गई और भारत ने ये मैच 171 रन से जीत लिया था। भारत की जीत में हरभजन का भी अहम रोल था। दूसरी पारी में उन्होंने एक हैट्रिक समेत 6 विकेट लिए थे।


हरभजन से जुड़ा मजेदार किस्सा भी बताया


सचिन ने भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह से नेट्स पर हुई उनकी पहली मुलाकात का किस्सा भी बताया। उन्होंने कहा, 'साल 1996 में जब हम पहली बार मोहाली गए थे, तो स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि यहां एक युवा ऑफ स्पिनर है, जो काफी अच्छी गेंदबाजी करता है और 'दूसरा' भी अच्छी डाल लेता है। जिसके बाद मैंने उसे भेजने के लिए कहा, ताकि नेट्स प्रैक्टिस के दौरान हम उसका सामना कर सकें और अगर वो सचमुच अच्छा है तो उसे प्रोत्साहित कर सकें। 


गेंद करने के बाद पास आकर पूछता था 'जी पा जी'


आगे उन्होंने कहा, इसके बाद भज्जी वहां आया और उसने मुझे नेट्स पर गेंदबाजी करना शुरू किया। लेकिन गेंद करने के दौरान वो हर थोड़ी देर में मेरे पास आ जाता और पूछता 'जी पा जी'? हर बार मैं उससे यही कहता कि वापस जाओ और गेंद करो। वहां ऐसा कई बार हुआ, लेकिन मुझे इसकी वजह समझ नहीं आई, कि वो क्यों बार-बार ऐसा कर रहा था।'


सालों बाद समझ आई ऐसा करने की वजह


"इसके कुछ सालों बाद जब वो टीम में आया और हम एक-दूसरे को जानने लगे, तो एक दिन उसने कहा, 'पाजी आपको एक बात बतानी है' तो मैंने कहा बता... इसके बाद उसने कहा, 'जब मैं पहली बार आपको नेट्स पर गेंदबाजी कर रहा था तो आप मुझे बार-बार अपनी तरफ क्यों बुला रहे थे?' तो मैंने उससे पूछा मैं कब तुम्हें बुला रहा था? बाद में मुझे समझ आया कि प्रैक्टिस के दौरान मैं जब-जब अपना हेलमेट एडजस्ट करता था, तो भज्जी को लगता था कि मैं उसे बुला रहा हूं और वो बार-बार मेरी ओर आ रहा था।"